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Thursday, April 14, 2022
Tuesday, October 3, 2017
लाला की शरारतें
October 03, 2017
एक गोपी के घर लाला माखन खा रहे हैं उसी समय गोपी ने लाला को पकड़ लिया। तब कन्हैया बोले तेरे धनी की सौगंध खाकर कहता हूँ अब फिर कभी भी तेरे घर मे नही आऊंगा।
गोपी ने कहा- मेरे धनी की सौगंध क्यों खाता है।
कन्हैया ने कहा- तेरे बाप की सौगंध।
बस गोपी और ज्यादा खीझ जाती है और लाला को धमकाती है। परंतु तू मेरे घर आया ही क्यों....!!
कन्हैया ने कहा- अरी सखी- तू रोज कथा मे जाती है, फिर भी तू मेरा तेरा छोड़ती नही। इस घर का मै धनी हूँ। यह मेरा घर है।
गोपी को आनंद हुआ कि मेरे घर को कन्हैया अपना घर मानते हैं, कन्हैया तो सबका मालिक है।
सभी घर उसी के हैं उसको किसी की आज्ञा लेने कि जरूरत नही।
गोपी कहती है- तूने माखन क्यों खाया?
लाला ने कहा- माखन किसने खाया है।
इस माखन मे चींटी चढ़ गई थी तो उसे निकालने को हाथ डाला, इतने मे ही तू टपक पड़ी।
गोपी कहती है - परंतु लाला! तेरे होठों के ऊपर भी तो माखन चिपका हुआ है।
कन्हैया ने कहा- चींटी निकालता था, तभी होठों के ऊपर भी मक्खी बैठ गई उसको उड़ाने लगा तो माखन होठों पर लग गया होगा।
कन्हैया जैसे बोलते हैं, ऐसा बोलना किसी को आता नही। कन्हैया जैसे चलते हैं, वैसे चलना भी किसी को आता नही।
गोपी ने पीछे लाला को घर मे खम्भे के साथ डोरी से बाँध दिया है। कन्हैया का श्रीअंग बहुत ही कोमल है।
गोपी ने जब डोरी कस कर बाँधी तो लाला की आँख मे पानी आ गया। गोपी को दया आई। उसने लाला से पूछा- लाला, तुझे कोई तकलीफ है क्या?
लाला ने गर्दन हिलाकर कहा- मुझे बहुत दुख रहा है। डोरी जरा ढीली करो।
गोपी ने विचार किया कि लाला को डोरी से कस कर बाँधना ठीक नही। मेरे लाला को दुःख होगा इसलिए गोपी ने डोरी थोड़ी ढीली रखी और सखियों को खबर देने गई कि मैने लाला को बाँधा है।
तुम लाला को बाँधो परंतु किसी से कहो नहीं। तुम खूब भक्ति करो परंतु उसे प्रकाशित मत करो। भक्ति प्रकाशित हो जायेगी तो भगवान चले जायेंगे।
भक्ति का प्रकाश होने से भक्ति बढ़ती नही, भक्ति मे आनंद आता नही।
बालकृष्ण सूक्ष्म शरीर करके डोरी से बाहर निकल गये और गोपी को अंगूठा दिखाकर कहा तुझे बाँधना ही कहा आता है।
गोपी कहती है - तो मुझे बता, किस तरह से बाँधना चाहिए।
गोपी को तो लाला के साथ खेल करना था।
लाला गोपी को बाँधते हैं...
योगीजन मन से...श्रीकृष्ण का स्पर्श करते हैं तो समाधि लग जाती है .....
यहाँ तो गोपी को प्रत्यक्ष श्रीकृष्ण का स्पर्श हुआ है।
गोपी लाला के दर्शन मे तल्लीन हो जाती है। गोपी को ब्रह्म ज्ञान हो जाता है।
लाला ने गोपी को बाँध दिया।
गोपी कहती है - लाला छोड़! छोड़ !
लाला कहते हैं, मुझे बाँधना आता है ...
छोड़ना तो आता ही नही।
पर यह जीव (मानव) एक ऐसा प्राणी है, जिसको छोड़ना आता है। चाहे जितना प्रगाढ़ सम्बन्ध क्यों न हो परंतु स्वार्थ सिद्ध होने पर उसको एक क्षण में ही छोड़ सकता है।
पर परमात्मा एक बार बाँधने के बाद छोड़ते नही।
दर्पण दिखाने की सेवा
October 03, 2017
इस बहाने मैं हँस तो लेता हूँ।
एक सासु माँ और बहू थी।
सासु माँ हर रोज ठाकुर जी पूरे नियम और श्रद्धा के साथ सेवा करती थी।
एक दिन शरद रितु मेँ सासु माँ को किसी कारण वश शहर से बाहर जाना पडा।
सासु माँ ने विचार किया के ठाकुर जी को साथ ले जाने से रास्ते मेँ उनकी सेवा-पूजा नियम से नहीँ हो सकेँगी।
सासु माँ ने विचार किया के ठाकुर जी की सेवा का कार्य अब बहु को देना पड़ेगा लेकिन बहु को तो कोई अक्कल है ही नहीँ के ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी हैँ।
सासु माँ ने बहु ने बुलाया ओर समझाया के ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी है।
कैसे ठाकुर जी को लाड लडाना है।
सासु माँ ने बहु को समझाया के बहु मैँ यात्रा पर जा रही हूँ और अब ठाकुर जी की सेवा पूजा का सारा कार्य तुमको करना है।
सासु माँ ने बहु को समझाया देख ऐसे तीन बार घंटी बजाकर सुबह ठाकुर जी को जगाना।
फिर ठाकुर जी को मंगल भोग कराना।
फिर ठाकुर जी स्नान करवाना।
ठाकुर जी को कपड़े पहनाना।
फिर ठाकुर जी का श्रृंगार करना ओर फिर ठाकुर जी को दर्पण दिखाना।
दर्पण मेँ ठाकुर जी का हंस्ता हुआ मुख देखना बाद मेँ ठाकुर जी राजभोग लगाना।
इस तरह सासु माँ बहु को सारे सेवा नियम समझाकर यात्रा पर चली गई।
अब बहु ने ठाकुर जी की सेवा कार्य उसी प्रकार शुरु किया जैसा सासु माँ ने समझाया था।
ठाकुर जी को जगाया नहलाया कपड़े पहनाये श्रृंगार किया और दर्पण दिखाया।
सासु माँ ने कहा था की दर्पण मेँ ठाकुर जी का हस्ता हुआ देखकर ही राजभोग लगाना।
दर्पण मेँ ठाकुर जी का हस्ता हुआ मुख ना देखकर बहु को बड़ा आशर्चय हुआ।
बहु ने विचार किया शायद मुझसे सेवा मेँ कही कोई गलती हो गई हैँ तभी दर्पण मे ठाकुर जी का हस्ता हुआ मुख नहीँ दिख रहा।
बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया श्रृंगार किया दर्पण दिखाया।
लेकिन ठाकुर जी का हस्ता हुआ मुख नहीँ दिखा।
बहु ने फिर विचार किया की शायद फिर से कुछ गलती हो गई।
बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया श्रृंगार किया दर्पण दिखाया।
जब ठाकुर जी का हस्ता हुआ मुख नही दिखा बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया ।
ऐसे करते करते बहु ने ठाकुर जी को 12 बार स्नान किया।
हर बार दर्पण दिखाया मगर ठाकुर जी का हस्ता हुआ मुख नहीँ दिखा।
अब बहु ने 13वी बार फिर से ठाकुर जी को नहलाने की तैयारी की।
अब ठाकुर जी ने विचार किया की जो इसको हस्ता हुआ मुख नहीँ दिखा तो ये तो आज पूरा दिन नहलाती रहेगी।
अब बहु ने ठाकुर जी को नहलाया कपड़े पहनाये श्रृंगार किया और दर्पण दिखाया।
अब बहु ने जैसे ही ठाकुर जी को दर्पण दिखाया तो ठाकुर जी अपनी मनमोहनी मंद मंद मुस्कान से हंसे।
बहु को संतोष हुआ की अब ठाकुर जी ने मेरी सेवा स्वीकार करी।
अब यह रोज का नियम बन गया ठाकुर जी रोज हंसते।
सेवा करते करते अब तो ऐसा हो गया के बहु जब भी ठाकुर जी के कमरे मेँ जाती बहु को देखकर ठाकुर जी हँसने लगते।
कुछ समय बाद सासु माँ वापस आ गई।
सासु माँ ने ठाकुर जी से कहा की प्रभु क्षमा करना अगर बहु से आपकी सेवा मेँ कोई कमी रह गई हो तो अब मैँ आ गई हूँ आपकी सेवा पूजा बड़े ध्यान से करुंगी।
तभी सासु माँ ने देखा की ठाकुर जी हंसे और बोले की मैय्या आपकी सेवा भाव मेँ कोई कमी नहीँ हैँ आप बहुत सुंदर सेवा करती हैँ लेकिन मैय्या दर्पण दिखाने की सेवा तो आपकी बहु से ही करवानी है...
इस बहाने मेँ हँस तो लेता हूँ।
बोलो ठाकुर प्यारे की जय।
राधे राधे जय श्री राधे
Monday, July 10, 2017
जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर
July 10, 2017
जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर
#rathyatrachd #RathyatraChandigarh2017 #RathyatraYMC2017
चंडीगढ़: भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव "जन्माष्टमी महामहोत्सव" को रथ यात्रा केओप में मनाने के लिए, रविवार 9, जुलाई 2017 को कम्युनिटी सेंटर, रामदरबार में एक बैठक का आयोजन किया गया | इस बैठक में रथयात्रा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओ पर चर्चा की गई, बैठक की अध्यक्षता श्रीमती पुष्पा यादव, अध्यक्ष यादव महासंघ चंडीगढ़ ने की , रथ यात्रा आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ विक्रम यादव जी ने, सभी क्षेत्र वासियों को इस आयोजन में अपनी सहभागिता देंने की अपील की | इस अवसर पर रामदरबार के युवा कार्यकर्त्ता सचिन राय, श्रीमती आरती यादव, श्रीमती सावित्री यादव , श्री रत्नेश्वेर राय, श्री बिरेंदर यादव , श्री रबिंदर यादव आदि अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे |
Friday, July 7, 2017
Rath Yatra Mahamahotsav
July 07, 2017
Rath Yatra Mahamahotsav
'तुलसी-लसित-सीतावरम्,
चैतन्य-नुत-मुरलीधरम् ।
भैरवं भजे गजाननम्,
खग-वाहनं ससुदर्शनम् ।
इन्दिरेशं विश्व-वेशं बुद्ध-रूपमनिन्दितम्,
प्रणमामि तं भुवि वन्दितम्,
जन-हृदय-मन्दिर- नन्दितम्, प्रणमामि तम् ॥'
*
'रथ-महोत्सवे जगत्पते !
त्वयि मन्दिराद् बहिरागते ।
जन-लोचनं गोविन्द ! ते,
शुभ- दर्शन-रसं विन्दते ।
नन्दिघोष- स्यन्दन-गतं शङ्ख-घण्टा-नादितम्,
प्रणमामि तं भुवि वन्दितम्,
जन-हृदय- मन्दिर- नन्दितम् ।
जगन्नाथं परात्मानं सर्व-तनुषु स्पन्दितम्,
प्रणमामि तम् ॥' (पुरुषोत्तम-गीतिका)
अन्त में, श्रीजगन्नाथ महाप्रभु के चरणारविन्द में प्रार्थना करते हैं कि उनके पावन नाम के स्मरण से
परस्पर भ्रातृत्व, मैत्री और श्रद्धा सदैव विकशित रहें एवं सबका जीवन सुख-शान्तिमय हो ।
'मैत्रीं प्रशान्तिं सुखदां चिरन्तनं
तनोतु विश्वे तव नाम-चिन्तनम् ।
आत्मीयता-रूप-रसो महीयतां
प्रभो जगन्नाथ ! कृपा विधीयताम् ॥'
= = = = = = =
Wednesday, July 5, 2017
Avinash Singh president Pravasi Bhalaai Sangathan
July 05, 2017
No comments
प्रवासी भलाई संघठन के रास्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश सिंह जी द्वारा
"यादव महासंघ(रजि) चंडीगढ़ के सौजन्य से आयोजित होने वाली
भगवान् श्री जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए शुभ कामनाएं |
Tuesday, July 4, 2017
God's unconditional love
July 04, 2017
एक बुढ़िया माई को उनके गुरु जी ने बाल-गोपाल की एक मूर्ती देकर कहा- "माई ये तेरा बालक है,इसका अपने बच्चे के समान प्यार से लालन-पालन करती रहना ।"
बुढ़िया माई बड़े लाड़-प्यार से ठाकुर जी का लालन-पालन करने लगी ।
एक दिन गाँव के बच्चों ने देखा माई मूर्ती को अपने बच्चे की तरह लाड़ कर रही है ! बच्चो ने माई से हँसी की और कहा - "अरी मैय्या सुन यहाँ एक भेड़िया आ गया है, जो छोटे बच्चो को उठाकर ले जाता है।
मैय्या अपने लाल का अच्छे से ध्यान रखना, कही भेड़िया इसे उठाकर ना ले जाये..!" बुढ़िया माई ने अपने बाल-गोपाल को उसी समय कुटिया मे विराजमान किया और स्वयं लाठी (छड़ी) लेकर दरवाजे पर बैठ गयी।
अपने लाल को भेड़िये से बचाने के लिये बुढ़िया माई भूखी -प्यासी दरवाजे पर पहरा देती रही। पहरा देते-देते एक दिन बीता, फिर दुसरा, तीसरा, चौथा और पाँचवा दिन बीत गया।.....
बुढ़िया माई पाँच दिन और पाँच रात लगातार, बगैर पलके झपकाये -भेड़िये से अपने बाल-गोपाल की रक्षा के लिये पहरा देती रही । उस भोली-भाली मैय्या का यह भाव देखकर, ठाकुर जी का ह्रदय प्रेम से भर गया, अब ठाकुर जी को मैय्या के प्रेम का प्रत्यक्ष रुप से आस्वादन करने का लोभ हो आया !
भगवान बहुत ही सुंदर रुप धारण कर, वस्त्राभूषणों से सुसज्जित होकर माई के पास आये। ठाकुर जी के पाँव की आहट पाकर मैय्या ड़र गई कि "कही दुष्ट भेड़िया तो नहीं आ गया, मेरेलाल को उठाने !" मैय्या ने लाठी उठाई और भेड़िये को भगाने के लिये उठ खड़ी हूई !
तब श्यामसुंदर ने कहा - "मैय्या मैं हूँ, मैं तेरा वही बालक हूँ -जिसकी तुम रक्षा करती हो!" माई ने कहा - "क्या? चल हट तेरे जैसे बहुत देखे है, तेरे जैसे सैकड़ो अपने लाल पर न्यौछावर कर दूँ, अब ऐसे मत कहियो ! चल भाग जा यहा से..!
" (बुढ़िया माई ठाकुर जी को भाग जाने के लिये कहती है, क्योकि माई को ड़र था की कही ये बना-ठना सेठ ही उसके लाल को ना उठा ले जाये )।
ठाकुर जी मैय्या के इस भाव और एकनिष्ठता को देखकर बहुत ज्यादा प्रसन्न हो गये । ठाकुर जी मैय्या से बोले :-"अरी मेरी भोली मैय्या, मैं त्रिलोकीनाथ भगवान हूँ, मुझसे जो चाहे वर मांग ले, मैं तेरी भक्ती से प्रसन्न हूँ" बुढ़िया माई ने कहा - "अच्छा आप भगवान हो, मैं आपको सौ-सौ प्रणाम् करती हूँ ! कृपा कर मुझे यह वरदान दीजिये कि मेरे प्राण-प्यारे लाल को भेड़िया न ले जाय" अब ठाकुर जी और ज्यादा प्रसन्न होते हुए बोले - "तो चल मैय्या मैं तेरे लाल को और तुझे अपने निज धाम लिए चलता हूँ, वहाँ भेड़िये का कोई भय नहीं है।" इस तरह प्रभु बुढ़िया माई को अपने निज धाम ले गये।
जय हो भक्त और भगवान की...!! ठाकुर जी को पाने का सबसे सरल मार्ग है, ठाकुर जी को प्रेम करो - निष्काम प्रेम जैसे बुढ़िया माई ने किया !
हरे कृष्णा | जय जय श्री राधे। श्री कृष्ण शरणम ममः!!
Saturday, July 1, 2017
Wednesday, June 28, 2017
महाप्रसाद
June 28, 2017
Mahaprasad
is of two types.
One is Sankudi mahaprasad and the other is Sukhila mahaprasad.
- Sankudi mahaprasad includes items like rice, ghee rice, mixed rice, cumin seed and asaphoetida-ginger rice mixed with salt, and dishes like sweet dal, plain dal mixed with vegetables, mixed curries of different types, Saaga Bhaja', Khatta, porridge etc. All these are offered to the Lord in ritualistic ways. It is said that every day 56 types of Prasad are offered to the Lord during the time of worship and all of these are prepared in the kitchens of the temple and sold to the devotees in Ananda Bazaar by the Suaras who are the makers of the Prasad.
- Sukhila mahaprasad consists of dry sweetmeats.
श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है, जबकि अन्य तीर्थों के प्रसाद को सामान्यतः प्रसाद ही कहा जाता है। श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद का स्वरूप महाप्रभु बल्लभाचार्य जी के द्वारा मिला। कहते हैं कि महाप्रभु बल्लभाचार्य की निष्ठा की परीक्षा लेने के लिए उनके एकादशी व्रत के दिन पुरी पहुँचने पर मन्दिर में ही किसी ने प्रसाद दे दिया। महाप्रभु ने प्रसाद हाथ में लेकर स्तवन करते हुए दिन के बाद रात्रि भी बिता दी। अगले दिन द्वादशी को स्तवन की समाप्ति पर उस प्रसाद को ग्रहण किया और उस प्रसाद को महाप्रसाद का गौरव प्राप्त हुआ। नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का प्रसाद विशेष रूप से इस दिन मिलता है।
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